प्यारे दोस्तों और बुजुर्गो आज हम निकाह के बारे मैं जानेंगे जिसमे हमारे आका ने क्या फ़रमाया और हमारे बुजुर्गो ने क्या फ़रमाया, हदीस इन हिंदी की पोस्ट में आज हम निकाह से जुड़े कुछ अहम् चीजों के बारे में जानेंगे। (Hadees In Hindi) 🌷
निकाह जिंदगी का एक अहम् मोड़ है, जिसमे एक मर्द और औरत यस्तैवाजी रिश्ते में जोड़ दिए जाते है, और उनकी एक नयी जिंदगी का आगाज होता है।
शरीयते इश्लामिआ ने निकाह करने की तरविब इरशाद फ़रमाई है। कभी निकाह बहोत जरूरी हो जाता है और कभी ये इंसान का इख्तियार होता है और कभी निकाह करने की इजाजत नहीं होती। गुनाह में पड़ जाने का जब ग़ालिब अंदेशा हो तो निकाह का करना जरुरी होता है।
किसी से निकाह 4 वजहों से किया जाता है, किसी के माल की वजह से, किसी के हुस्न की वजह से, किसी के हसबो नसब की वजह से और किसी के दीन की वजह से। अमूमि तोर पर जब रिश्ता तलाश करने लोग निकलते है, इन 4 चीजों मै या इनमे से कुछ चीजों को ध्यान में रखा जाता है।
बेहतर निकाह वो है जो दीन की वजह से किया जाए अगरचे हुस्न ओ जमाल की वजह से निकाह किया जाए तो ये बहोत बड़ा एक ताहियर है, इसकी मुमानअत नहीं है, लेकिन तरग़ीब दीन की वजह से दीन दारी की वजह से निकाह करने की दी गयी है। इसलिए की वो आने वाली नस्ल की तरबियत की वो खातून जमीन है।
हमारे आका ए करीम, नबी ए रहमत मोहम्मद सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की जिसका दीन और जिसका अख़लाक़ तुम्हे अच्छा लगे तुम उस से अपनी बेटी का निकाह कर दो।
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निकाह जिंदगी का एक अहम् मोड़ है, जिसमे एक मर्द और औरत यस्तैवाजी रिश्ते में जोड़ दिए जाते है, और उनकी एक नयी जिंदगी का आगाज होता है।
शरीयते इश्लामिआ ने निकाह करने की तरविब इरशाद फ़रमाई है। कभी निकाह बहोत जरूरी हो जाता है और कभी ये इंसान का इख्तियार होता है और कभी निकाह करने की इजाजत नहीं होती। गुनाह में पड़ जाने का जब ग़ालिब अंदेशा हो तो निकाह का करना जरुरी होता है।
किसी से निकाह 4 वजहों से किया जाता है, किसी के माल की वजह से, किसी के हुस्न की वजह से, किसी के हसबो नसब की वजह से और किसी के दीन की वजह से। अमूमि तोर पर जब रिश्ता तलाश करने लोग निकलते है, इन 4 चीजों मै या इनमे से कुछ चीजों को ध्यान में रखा जाता है।
बेहतर निकाह वो है जो दीन की वजह से किया जाए अगरचे हुस्न ओ जमाल की वजह से निकाह किया जाए तो ये बहोत बड़ा एक ताहियर है, इसकी मुमानअत नहीं है, लेकिन तरग़ीब दीन की वजह से दीन दारी की वजह से निकाह करने की दी गयी है। इसलिए की वो आने वाली नस्ल की तरबियत की वो खातून जमीन है।
हमारे आका ए करीम, नबी ए रहमत मोहम्मद सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की जिसका दीन और जिसका अख़लाक़ तुम्हे अच्छा लगे तुम उस से अपनी बेटी का निकाह कर दो।
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