Thursday 11 June 2020

Hadees in Hindi l निकाह से जुडी हदीस हिंदी मै

प्यारे दोस्तों और बुजुर्गो आज हम निकाह के बारे मैं जानेंगे जिसमे हमारे आका ने क्या फ़रमाया और हमारे बुजुर्गो ने क्या फ़रमाया, हदीस इन हिंदी की पोस्ट में आज हम निकाह से जुड़े कुछ अहम् चीजों के बारे में जानेंगे। (Hadees In Hindi) 🌷

निकाह जिंदगी का एक अहम् मोड़ है, जिसमे एक मर्द और औरत यस्तैवाजी रिश्ते में जोड़ दिए जाते है, और उनकी एक नयी जिंदगी का आगाज होता है।

शरीयते इश्लामिआ ने निकाह करने की तरविब इरशाद फ़रमाई है। कभी निकाह बहोत जरूरी हो जाता है और कभी ये इंसान का इख्तियार होता है और कभी निकाह करने की इजाजत नहीं होती। गुनाह में पड़ जाने का जब ग़ालिब अंदेशा हो तो निकाह का करना जरुरी होता है।

किसी से निकाह 4 वजहों से किया जाता है, किसी के माल की वजह से, किसी के हुस्न की वजह से, किसी के हसबो नसब की वजह से और किसी के दीन की वजह से।  अमूमि तोर पर जब रिश्ता तलाश करने लोग निकलते है, इन 4 चीजों मै या इनमे से कुछ चीजों को ध्यान में रखा जाता है।

बेहतर निकाह वो है जो दीन की वजह से किया जाए अगरचे हुस्न ओ जमाल की वजह से निकाह किया जाए तो ये बहोत बड़ा एक ताहियर है, इसकी मुमानअत नहीं है, लेकिन तरग़ीब दीन की वजह से दीन दारी की वजह से निकाह करने की दी गयी है। इसलिए की वो आने वाली नस्ल की तरबियत की वो खातून जमीन है। 

हमारे आका ए करीम, नबी ए रहमत मोहम्मद सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की जिसका दीन और जिसका अख़लाक़ तुम्हे अच्छा लगे तुम उस से अपनी बेटी का निकाह कर दो।


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Saturday 27 April 2019

Five Pillars Of Islam (Complete Article)


Five Pillars Of Islam


रशुलल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि इस्लाम कि बुनियाद 5 चीजो पर कायम कि गयी है।

  1. अल्लाह और उसके रशुल (मुहम्मद सलल्लाहु अलैही वसल्लम) कि गवाही देना।
  2. नमाज पढना।
  3. रमजान शरीफ के रोजे रखना।
  4. जकात देना।
  5. हज करना।

Shahadah (Five Pillars Of Islam)


1.   अल्लाह और उसके रशुल कि गवाही देना। इस्लाम कि सबसे पहली बुनियाद अल्लाह और उसके रशूल कि गवाही देना है कि अल्लाह एक है। अल्लाह का कोई माबुद नही और सलल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के नबी है।

ला ईलाहा ईलल्लाह मुहम्मदुर्र रशुलल्लाह

तर्जुमा – अल्लाह एक है और मुहम्मद सलल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के नबी है।

Namaz (Five Pillars Of Islam)


2.   Namaz कायम करना  इस्लाम कि बुनियादो मे से यह भी एक हिस्सा है। जिसमे ईमान वालो को हुक्म दिया गया है कि प्रत्येक दिन पांच बार  Namaz पढना। पाँच वक्त कि  Namaz मुसलमानो पर फर्ज है।

रशुलल्लाह सलल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया जिसने एक वक्त की  Namaz भी जानबुझ कर छोड दि वो कुफ्र कि हद तक चला गया।

Fajr      –   सूर्योदय से पहले

Zuhr     –   दोपहर का तीसरा पहर (लगभग 1:45 बजे)

Asr      –   देर दोपहर (लगभग 5:30 बजे)

Maghrib  –   सूर्यास्त पश्चात

Isha      –   रात

5-Pillars-Of-Islam

नमाज़ पढ़ने की कुछ शर्तें

Namaz पढने से पहले वुजु करना जरूरी है और अगर वुजु पहले कि हो तो भी नमाज पढ सकता है। शर्त ये है कि पहले कि गयी वुजु अभी भी मुकम्मल हो। पहले कि हुई वुजु अभी भी बरकरार हो। और अगर शरीर पाक ना हो तो गुस्ल करना जरूरी है।

Namaz  काबा की तरफ रूख करके ही पढी जाती है।

Namaj Ki Niyat  नमाज के लिये जरूरी है।

Namaz Rakat

5-Pillars-Of-Islam


Roja (Five Pillars Of Islam)


3.   रोजा रखना   रमजान शरीफ के रोजे रखना भी इस्लाम कि बुनियाद का एक हिस्सा है। पाँच बुनियादो मे से एक बुनियाद रमजान के रोजे रखना है। जिसमे इंसान सुबह फर्ज नमाज से पहले खा सकता है जिसे सेहरी कहते है।

और मगरिब कि नमाज कि अजान के साथ वो रोजा इफ्तारी कर सकता है। इंसान फर्ज नमाज कि अजान के बाद मगरिब कि नमाज के अजान तक कुछ भी नही खा सकता और ना ही कुछ पी सकता है।

Zakat ( Five Pillars Of Islam)


4.   Zakat हर मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज है। Zakat इस्लमिक बुनियाद का एक हिस्सा है जिसमे अगर कोई इंसान साहिबेनिसाब है तो उस पर  Zakat फर्ज है।

Zakat हर साहिबेनिसाब पर फर्ज है चाहे वो मर्द हो या औरत। जिसके पास 52.50 तोला चांदी या 7.50 तोला सोना हो वो साहिबेनिसाब है। लेकिन जिस वक्त ये निसाब बयान किया गया था। उस वक्त चांदी और सोने कि किमत बराबर थी।

7.50 तोला सोने कि जितनी किमत थी उतनी ही किमत 52.50 तोला चांदी कि थी। दोनो किमत के ऐतबार से बराबर बराबर थे। लेकिन इस दोर में सोना का मुल्य बहोत ही ज्यादा बढ गया और चांदी कि किमत सोने के बनिसबद बहोत कम है।

तो दो में से अगर एक भी निसाब पुरा हो जाता है यानि मिसाल के तोर पर चांदी का निसाब 52.50 तोला है तो 52.50 तोला का निसाब अगर उसके पास हो जाता है तो वो साहिबेनिसाब कहलाता है। अगर किसी के पास 52.50 तोला चांदी हो या फिर जब भी जकात निकाली जाए उस वक्त 52.50 तोला चांदी जितने रुपय (करंसी) हो तो उस पर जकात फर्ज है।

या फिर किसी के पास कुछ (माना 1 तोला) तोला सोना है और कुछ रुपय मोजुद है तो अगर ये दोनो मिल कर 52.50 तोला चांदी खरिदने जितने रुपय हो जाये तो उस पर भी  Zakat वाजिब है।  

अब 52.50 तोला कि मिखदार कितनी होनी चाहिए। तमाम औलमा-ए-ईकराम ने इसकी तहकीक ये कि, कि 11 ग्राम और 625 मिलिग्राम ये एक तोले का वजन हुआ इस एतबार से 52.50 तोला चांदी तकरिबन 611 ग्राम होती है। (52.5 तोला * 11.625 ग्राम = 610.3125 ग्राम) तो जिसके पास 611 ग्राम चांदी या उतनी रकम मोजुद हो तो वो साहिबेनिसाब है और  Zakat अपने माल में से 2.5 फिसद दी जाती है।

Zakat  के बारे में बेहतर जानने के लिए अपने शहर के ओलमा-ए-ईकराम से जरूर बात करे क्योंकि  Zakat हर मुसलमान पर फर्ज है अगर इसमे हम गलती करेंगे तो गुनाह में शामिल होंगे।

Hajj (Five Pillars Of Islam)


5.   Hajj करना मुसलमान पर फर्ज है। अगर कोई मुसलमान इतनी दोलत रखता हो जिससे Hajj का खर्चा आसानी से उठा सके तो उस पर हज फर्ज हो जाता है। अगर कोई शारीरिक और आर्थिक रूप से Hajj करने मे सक्षम है तो उस पर Hajj फर्ज है।

5-Pillars-Of-Islam


मुसलमान को कम से कम एक बार अपने जीवनकाल में  Hajj करना चाहिए। Hajj इस्लमिक महीने धू अल हिज्जाह की 8 वीं तारीख से 12 वीं तारीख तक किया जाता है। जब तीर्थयात्री मक्का से लगभग 10 किमी दूर है, तो उसे इहराम के कपड़े पहनना चाहिए, जिसमें दो सफेद चादरें होती हैं।

हज के मुख्य अनुष्ठानों में काबा के चारों ओर सात बार घूमना, ब्लैक स्टोन को चुमन, माउंट सफा और माउंट मारवाह के बीच सात बार यात्रा करना और प्रतीक रूप से मीना में शैतान को पत्थर मारना शामिल है।

Hajj Kis Par Farz Hai

Hajj उस पर फर्ज है जो सफर के इखराजात (खर्चा) उठा सके। (यानि सफर में जितना पैसा लगता है उसका खर्चा उठा सके)

जितने दिनो तक वो इंसान घर से दुर रहे उतने दिनो तक वो अपने घरवालो के इखराजात (खर्चा) उठा सके।

सफर कि सहुबतो को बर्दाश्त कर सके और Hajj के अरकान को अदा करने की ताकत रखते हो। ऐसे लोगो पर हज फर्ज है।

5-Pillars-Of-Islam

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Five Pillars Of Islam In English


Rasoolullah Sallaahu Alaihi Wasallam said that the foundation of Islam has been established on 5 things.

  1. Shahadah (Faith)
  2. Salat (Prayer)
  3. Sawm (Fasting)
  4. Zakah (Almsgiving)
  5. Hajj (Pilgrimage)

Shahadah (Five Pillars Of Islam)


1.      Shahadah (Faith)         To testify that Allah is One and Rasoolullah Sallaahu Alaihi Wasallam is the prophet of Allah.

لَا إِلٰهَ إِلَّا ٱلله مُحَمَّدٌ رَسُولُ ٱلله

lā ʾilāha ʾillā llāh muḥammadun rasūlu llāh

I testify that there is only one God (Allah) and Muhammad Sallalahu Alaihi Wasallam is God's prophet.

Ash hadu alla ilaha illa Allah, wa ash hadu anna Mohammadan abduhu wa rasuluhu:- I testify and witness that there is no god worthy of being worshipped other than Allah and that Mohammad is His Messenger. You must say it and believe in it.

Salat (Five Pillars Of Islam)


2.      Salat (Prayer)     Salat is compulsory Islamic prayer that has to be established five times daily.To pray five times each day.

Fajr

Zuhr

Asr

Maghrib

Isha

Fazr is performed before the light of dawn, Dhuhr is performed when the sun starts to decline from its zenith, Asr is performed in the afternoon, Maghrib is the sunset prayer and Isha is the evening prayer.

Muslim must performed Wudu before prayer. Each prayer consists of a certain amount of rakaat. All of these prayers are recited while facing the Kaabah in Mecca.

Sawm (Five Pillars Of Islam)


3.      Sawm (Fasting)  To give up food and drink during daylight hours in the month of Ramadan.  Three types of fasting (Sawm) are ritual fasting, compensation or repentance and ascetic fasting.

Ritual fasting is an obligatory act from dawn to dusk during the month of Ramadan for every Muslim who has reached puberty. Fasting help to seek nearness to God. Also to atone for their past sins and to remind them of the poor and needy.

Those who are sick, elderly, or on a journey, and women who are menstruating, pregnant or nursing, are permitted to break the fast and make up an equal number of days later in the year if they are able and healthy.

Zakat (Five Pillars Of Islam)


4.      Zakat  (Almsgiving)     To give a share of personal wealth to help people in need and support the muslim community. Zakat is 2.5% of the person’s annual income.

Zakat is charged on every Muslim man and woman. Zakat is a part of the foundation of Islam, If a person is physically and financially capable, then zakaat is the duty.

Zakat has a duty on everybody, whether it is a man or a woman. Who has 52.50 Tola of silver or 7.50 Tola of gold, that is the sahibanisab. But at the time when this statement was made that time the price of silver and gold was equal.

If you have 52.50 tola silver instead you have 52.50 tola silver amount, then you have to pay Zakat and the Zakat is 2.5% on whole amount you have.

Hajj (Five Pillars Of Islam)


5.      Hajj (Pilgrimage)         It is necessary to make pilgrimage to Mecca at least once in our life, If he or she can afford it physically and financially. It is a pilgrimage that occurs during the Islamic month of Dhu al-Hijjah.

First of all when the pilgrim is around 10km from Mecca then he must dress in Ihram clothing. Which consists of two white sheets.

The main rituals of the Hajj include walking seven times around the Kaaba,, touching the Black Stone, traveling seven times between Mount Safa and Mount Marwah, and symbolically stoning the Devil in Mina.


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Friday 19 April 2019

Durood Sharif Or Uski Fazilat


Durood Sharif  Or Fazilat

क्या दुरूद शरीफ पढने से अल्लाह तआला लाखो करोडो फरिस्ते पैदा करता है। और क्या वो फरिस्ते कयामत तक हमारे मगफिरत के लिए दुआ करते है?

Durood Sharif



आका फरमाते है कि अर्श के निचे एक फरिस्ता है। जिसका सर अर्श से लगा हुआ है और जिसके पैर तहतुस्सरा में है। जिसका एक बाजु मशरिफ कि तरफ है और दुसरा बाजु मगरिफ कि तरफ है।

Durood Sharif  की फज़िलत 🌷


जब कोई बंदा-ए-मोमिन आका पर मोहब्बत के साथ दुरुद (Durood Sharif) पढता है। तो अल्लाह उस फरिस्तो को हुक्म देता है कि वो नूर के दरिया मे गोता लगाये। तो फरिस्ता नूर के दरिया मे गोता लगाता है और बाहर आने के बाद अपने परो को झाडने लगता है।

मेरे आका सलल्लाहु अलैही वसल्लम फरमाते है। उसके परो से जितने नूर के कतरे गिरते है हर कतरे से अल्लाह फरिस्तो को पैदा फरमाता है। और जितने हजारो लाखो करोडो फरिस्ते पैदा होते है वो सब के सब कयामत तक के लिए उसका नाम लेकर मगफिरत कि दुआ करते हे। जिसके दुरुद पढने से वो फरिस्ते पैदा हुए है।

सहाबा का अकिदा Durood Sharif  को लेकर 🌷


एक मर्तबा का वाकिया है। हजरते उबैय इब्ने काब रदिअल्लाहु तआला अन्हु हुजुर सलल्लाहु अलैही वसल्लम कि बारगाह मे हाजिर हुए। और कहा या रसुलल्लाह मे चाहता हुँ कि में मेरे 24 घंटो के चार हिस्से करु और एक हिस्सा मे दुरुद शरिफ (Durood Sharif) पढता रहु। आका कैसा रहेगा?

सरकार फरमाते हे बहोत अच्छा है। अगर इसमे ज्यादती करो तो और बेहतर है।

अर्ज किया या रसुलल्लाह 24 घंटो के आधे हिस्से मे अब में आप पर Durood O Salam ही पढता रहुंगा।

आका फरमाते है बेहतर है। लेकिन इसमे और इजाफा करो तो अच्छा है।

अर्ज किया या रसुलल्लाह पौना हिस्सा Durood O Salam

आका फरमाते है बेहतर है। लेकिन और ज्यादा करो तो अच्छा।

अर्ज किया या रसुलल्लाह फर्ज नमाजो के बाद रात और दिन मे सिर्फ आप पर Durood O Salam पढुंगा।

आका फरमाते है कि अगर तुने ऐसा कर लिया तो अल्लाह तुझे दुनिया के गमो से भी आजाद कर देगा। और आखिरत के गमो से भी आजाद कर देगा।

इसीलिए प्यारे दोस्तो दुरुद शरिफ (Durood Sharif) पढने कि आदत डालो। और जब भी आका-ए-करीम सलल्लाहु अलेही वसल्लम का नाम आये तो बुलन्द आवाज से सलल्लाहु अलेही वसल्लम कह लेना चाहिए। क्योंकी आका फरमाते है कि सबसे बडा बखिल वो है। जिसके सामने मेरा नाम लिया जाए और वो दुरुद ना पढे।


Durood Sharif

Dua Or Durood Sharif 🌷


दुरुद शरिफ की बडी बरकते है। आका-ए-करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम फरमाते है कि अगर बंदा दुआ करे और दुरुद (Durood Sharif) ना पढे। तो उसकी दुआ जमीन और आसमान के दरमियान लटकती रहती है। और अगर कोई दुरूद पढ ले और दुरुद पढने के बाद दुआ करे। तो अल्लाह उसकी दुआ को जरुर कुबूल फरमाता है।

हजरत-ए-सयैदना कुतबुद्दिन बख्तियारे काकि रहमुल्लाह अलेह उस वक्त तक आराम नही फरमाते थे। जब तक कि 3000 मर्तबा दुरुद नही पढ लेते थे।

हुजुर फरमाते है। जो दुनिया मे जितना ज्यादा मुझ पर दुरुद पढेगा वो कयामत के दिन उतना ज्यादा मेरे करीब होगा।

आका फरमाते है जो मुझ पर एक मर्तबा दुरूद पढता है। अल्लाह उसको 10 नेकिया अता करता है। 10 गुनाह को मिटा देता है। और 10 दरजात को बुलन्द फरमा देता है।

Kya Aap 15 Minute Nahi De Sakte? 🌷


प्यारे आका के प्यारे दिवानो दुरुद (Durood Sharif) पढने की आदत डालो। और कम से कम 500 मर्तबा प्यारे आका पर दुरूद पढा करो। आज हम जानते है कि मशरुफियत का दोर है इसिलिए आप क़ाउन्टिग तश्बिह ले सकते है। और जब भी आपको समय मिले। दुरूद पढा करो। अगर हम पढे “सलल्लाहु अलैही वसल्लम” 500 मर्तबा तो लगभग 15 मिनट में आप ये दुरूद पढ सकते हो। आपके पास मे अगर ज्यादा समय बचे तो आप और ज्यादा पढो। किसी दिन आपके पास समय ना हो तो 300 मर्तबा पढो।

Durood E Ibrahim 🌷

ALLAHUMMA SALLI ALA MUHAMMADIW WA ALA AALI MUHAMMADIN KAMAA SALLAITA ALA IBRAHIMA WA ALA AALI IBRAHIMA INNAKA HAMIDUM MAJID. ALLAHUMMA BAARIK ALA MUHAMMADIW WA ALA AALI MUHAMMADIN KAMAA BAARAKTA ALA IBRAHIMA WA ALA AALI IBRAHIMA INNAKA HAMIDUM MAJID.


हम दावा करते है आशिक-ए-रसूल का क्या हम 1440 मिनट (मतलब एक दिन) मे से 15 मिनट मेरे और आपके आका को नही दे सकते? जिन्होने हम जेसे गुनहगारो के लिए दिन और रात रो-रो कर मगफिरत कि दुआ कि। जो हम मोमिनो कि जान हे। जो दोनो जहाँ के मालिक है। जो इस कायनात कि जान है। जो मोमिनो का इमान है, जो इमान का इमान है। जो सारे सरदारो का सरदार है। जो बादशाहो का बादशाह है। आज से और अभी से अपने आप से वादा कर लो दोस्तो कि हम Durood O Salam जरूर पढेंगे। अगर हम इस पर अम्ल करेंगे तो इंस्याअल्लाह अल्लाह हमारी दुनिया भी सवाँर देगा और आखिरत भी।

अल्लाह तआला कहने सुनने से ज्यादा अम्ल करने की तोफिक अता फरमाए। आमिन।



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